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रतनगढ - कहानी दो जहां की (भाग 20)

निहारिका असमंजस मे खड़ी हुई थी। वह महिला बोली – हैरान होने की जरूरत नही है मै अभी भी यही कहूंगी तुम्हे पैलेस के उस हिस्से मे नही जाना चाहिये।

क्या कह रही हैं आप... ये एक बार फिर उस हिस्से मे जाना चाहती हैं क्या? नही इन्हे वहाँ नही जाना चाहिये वो इनके लिये बिल्कुल भी ठीक नही हैं। वह जगह और वहाँ के लोग .. समर ने आते हुए कहा और वह उसके सामने आकर खड़ा हो गया।

निहारिका बोली – अब खतरा हो या ना हो लेकिन हमे वहाँ जाना ही होगा। हमे सब कुछ रहस्यमयी लग रहा है और इनको सुलझाते सुलझाते हमारा सर घूमा जा रहा है। क्या है ये पहेली वे अजीब से लोग न तो जानवर हैं और न ही इन्सान है और तो और आप जो सालो पहले इस दुनिया मे आये थे आप अभी भी इसी दुनिया का हिस्सा है। बाकि लोगो की तरफ आप अंधेरे के आदी नही है क्या? बताइये हमे? और आपको हमारी बहनो के बारे मे पता है या नही... अगर हां तो कैसे? कितने सारे सवाल है और जवाब एक भी नही है समर। एक भी नही... निहारिका परेशान होकर नीचे जमीन पर बैठ गई। 

समर ने एक बार उस औरत की तरफ देखा और फिर निहारिका से बोला – ठीक है अगर आप जाना ही चाहती है तो मै भी आपके साथ चलूंगा। आपको अकेले उस हिस्से मे नही जाने दूंगा जहाँ किसी भी जिंदा इंसान के सिर पर सिर्फ मृत्यु तांडव करती है।

लेकिन आप हमारी मदद क्यूं करना चाहते हैं और कैसे करेंगे आप हमारी मदद। निहारिका ने हाथ उठा कर कमर पर रख लिया। उसे कोई दर्द महसूस नही हुआ। तो उसका ध्यान समर से हट कर अपने हाथ की तरफ गया।

निहारिका ये देखकर और ज्यादा हैरत मे पड़ गयी चाकू का दिया उसका जख्म अब पूरी तरह ठीक हो चुका था। वहाँ बस लेप दिख रहा था कोई जख्म नही। उसने तुरंत ही अपने जख्म वाली जगह को स्पर्श करके देखा। लेप का अंश छूट कर उसके हाथ मे आ गया। ये कैसे हुआ... उसे याद आया जब वह पैलेस के उस हिस्से मे गयी थी तब भी उसके साथ ऐसा ही हुआ था और अभी एक बार फिर? 

उसने सवालिया नजरो से समर की ओर देखा। समर बोला – ये ऐसा क्यूं है इसकी जानकारी मुझे भी नही है। समर के जख्मो मे टीस उठी, जो उसे कल मिले थे और वे अब तक भरे भी नही थे। 

निहारिका बोली- जो हुआ सो हुआ अब हमे यहाँ से चलना चाहिये। निहारिका ने आगे कदम बढा दिया। समर, वह औरत और निहारिका तीनो ही एक बार फिर अब अलग दिखने वाले दरवाजो के सामने खड़े थे।वह अजीब दिखने वाली औरत बोली – यहाँ से तुम दोनो ही अंदर जाओ मै यहीं गढ वाले महाराज से प्रार्थना करूंगी जल्द ही तुम लोग अपने मकसद मे सफल होकर लौटो। 

निहारिका और समर ने अपने आसपास देखा कुछ लोग आ रहे थे। वे उनके जाने का इंतजार करते हुए वहीं एक ओर खड़े हो गये और महल के भव्य दरवाजे को देखते हुए उनके अजीब होने के बारे मे बातें करते हुए उन लोगो को गुमराह करते रहे। दीवारो को देखते हुए निहारिका ने देखा वही बंदर का परिवार शांति से पैलेस की बड़ी सी दीवार पर बैठा हुआ था।

वे आदमी समीप आते हुए उन्हे नापसंदगी से घूरते हुए वहाँ से आगे निकल गये। उनके जाते ही निहारिका ने अपनी नजरे बंदर से हटाकर दरवाजे को हाथ लगाते हुए खोला और तेजी से उसके अंदर प्रवेश कर गयी। समर भी निहारिका के पीछे पीछे ही चला आ गया।

दरवाजे के इस ओर आते हुए उसे एक बार फिर घनघोर अंधेरे का सामना करना पड़ा। इतनी देर मे उसे पहली बार अपने मोबाइल फोन का ध्यान आया था। उसने उसे टटोला तो उसमे उसके परेंटस की कई सारी मिस्ड कॉल्स पड़ी थीं और बैटरी भी तीस प्रतिशत के आसपास दिख रही थी। शुक्र है हमने इसे ज्यादा इस्तेमाल नही किया नही तो अभी हमारे ये किसी काम का नही रहता। 

निहारिका ने एक बार फिर रोशनी कर ली और उसके सहारे आगे बढने लगी। समर उसके पीछे था और वह भी सामान्य तरीके से ही आगे चल रहा था।निहरिका ने इस बार वह पैलेस और भी भव्यता से देखा। उसने देखा उस पैलेस में कुछ चीजे अजीबो गरीब थीं। कुछ आगे चलने पर उसके कानो मे बहते पानी की कल कल की आवाजे पड़ी।

 उसने रोशनी उस ओर फेंकी – वह आवाज उसे पैलेस की छत से आती हुइ दिखी। फोन की रोशनी मे उसने देखा पैलेस के उस हिस्से मे फव्वारा लगा हुआ है। और वह फव्वारा नीचे न होकर पैलेस की मुंडेर पर है। यानी वह इस अंदाज मे लगा हुआ है कि उसका आधा पानी नीचे बने कुंड मे जा रहा है तो आधा पानी छत पर ही कहीं गिर रहा है। उसका मुन्ह खुला रहा गया। उस समय मे उसने ऐसी तकनीकी की कल्पना भी नही की थी। समर ने आगे चलने को कहा और वह खुद भी धीरे धीरे आगे बढ गया। 

ये ऐसा क्यूं है, हमारा मतलब है ये ऐसा कैसे बन सकता है क्या सच मे उस समय तकनीकी इतनी कारगर थी – चलते हुए निहारिका ने समर से पूछा।

“हां, ये तकनीकि का ही कमाल है। और ये काफी कारगर थी उस समय मे भी”

ओके, - कहते हुए निहारिका खामोश हो गयी।

कुछ आगे चलने पर समर रूक गया। निहारिका को भी तेज तेज आवाजे आने लगीं। कुछ अजीब सी दबी दबी आवाजे आ रही हैं समर क्या आप सुन रहे है इन्हे? निहारिका ने पूछा तो समर ने हां मे गर्दन हिलाई।

ओह लेकिन ये क्यूं है, हमे लगता है आप हमे इस बारे मे बेहतर बता सकते हैं।

हां, अभी हम सबकी आराधना का समय हो गया है। इसीलिये ये सभी अपने इष्ट देव के पास गये हुए हैं। उनकी आराधना के लिये कहते हुए वह एक पल सांस लेने के लिये रूका फिर बोला – और मुझे भी जाना होगा।

क्या... ? निहारिका ने आश्चर्य से पूछा।

समर बोला – हां, अब तुम सच मे अनजान तो नही हो निहारिका।
लेकिन हमे पूरी तरह कुछ भी नही पता है, बस कुछ कुछ अंदाजा है हमे।

मै जानता हूं, लेकिन पूरा सच तुम्हारे लिये जानना जरूरी भी नही है तुम चलो मेरे साथ मै तुम्हे किसी सुरक्षित जगह पर पहुंचा देता हूं जहाँ ये लोग तुम तक आसानी से न पहुंच पाये। लेकिन ये पहुचेंगे जरूर समय लेन्गे लेकिन आयेंगे। तुम्हे सतर्क रहना होगा – समर ने निहारिका की बान्ह पकड़ कर लगभग खींचते हुए कहा और वह अंधेरे मे एक ओर चलने लगा। चलते हुए उसने निहारिका को चेतावनी दी -रोशनी बंद मत करना। हम लोग अंधेरे मे बिल्कुल उसी तरह देख सकते हैं जैसे कोई नॉर्मल इंसान उजाले मे देखता है।

‘लेकिन कैसे...? जहाँ तक हम जानते हैं इंसान हो या जानवर सभी सिर्फ सूरज के उजाले मे देख सकते हैं अंधेरे मे नही सिवाय उल्लूओ को छोड़कर’ – निहारिका ने आश्चर्य भरे अंदाज मे कहा।

 कहा तो हमारी प्रजाति ही अलग है हम अर्धमानव हैं अर्ध मानव – समर ने ठडे पन से कहा। और एक ऐसे कमरे मे पहुंचा जिसमे कोई भी खिड़कि नही थी बस पर्दे थे कुछ और एक पलंग और सामने की दीवार पर एक बड़ी सी तस्वीर लगी हुई थी। जो कुंवर समरजीत की थी। समर उस कमरे के अंदर आकर निहारिका को छोड़ते हुए कहता है – इस कमरे मे कोई अर्धमानव नही प्रेवेश कर सकता है लेकिन वे तुम्हे बाहर निकालने के लिये पूरी कोशिश करेंगे तुम्हे यहाँ से बाहर नही निकलना है – बोलते बोलते वह अचानक से रूका और निहारिका से माफ कीजिये मै बस जल्दी जल्दी मे ऐसा लहजा इस्तेमाल कर गया।

समर को सुन कर निहारिका ने कोई बात नही कहा और कमरे का जायजा लेने लगी। समर ने दरवाजा बंद किया और वहाँ से तुंरत ही अंधेरे मे कहीं लुप्त हो गया।

समर के जाने के बाद निहारिका ने अपने पीछे मुड़ कर देखा और धीरे से बड़बड़ाई, ‘माफ कीजिये समर हम यहाँ छुप कर बैठने के लिये नही आये हैं’ और वह दरवाजा खोल कर बाहर जाने के लिये निकल गई।

जारी...

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5 Comments

shweta soni

30-Jul-2022 08:43 PM

Nice

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Shnaya

03-Apr-2022 02:21 PM

Nice part 👌

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Dr. Arpita Agrawal

13-Mar-2022 04:14 PM

Wow, it's very intresting 👌

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